1
अपनी तनहाई तेरे नाम पे आबाद करे
कौन होगा जो तुझे मेरी तरह याद करे
2
अभी मसरूफ हूँ काफी, कभी फुरसत में सोचूंगा
के तुझको याद करने में, मैं क्या क्या भूल जाता हूँ
3
उदास ज़िन्दगी, उदास वक्त, उदास मौसम…
कितनी चीज़ों पे इल्ज़ाम लग जाता है तेरे बात न करने से
4
उसका दावा भी उसकी तरह झूठा निकला
वो कहता था, बिछडूगा तो मर जाऊँगा
5
एक ये ख्वाहिश के कोई ज़ख्म न देखे दिल का
एक ये हसरत कि कोई देखने वाला होता
6
और भी कर देता है दर्द में इजाफा
तेरे होते हुए गैरों का दिलासा देना
7
कईं बदनामियां होतीं, कईं इलज़ाम सर जाते
मगर ए काश हम दोनों, हमीं दोनों पे मर जाते
8
कमबख्त मानता ही नहीं दिल उसे भूलने को
मैं हाथ जोड़ता हूँ तो ये पांव पड़ जाता है
9
कितना इख्तियार था उसको अपनी इस चाहत पे
इस लिए जब चाहा याद किया, जब चाहा भुला दिया
10
किस्मत भी साथ नहीं देती
बिलकुल तेरे जैसी है
11
कुछ तो कम होते ये लम्हे मुसीबतों के
तुम एक दिन तो मिल जाते, दो दिन की ज़िन्दगी में
12
कुछ तो फ़राज़ हमने पलटने मे देर की
कुछ उसने इन्तज़ार ज़्यादा नहीं किया
13
ख्वाब बोये थे हिज्र काटा है
इस मोहब्बत में बहुत घाटा है
14
गैरों से कहा तुमने, गैरों से सुना तुमने
कुछ हमसे तो कहा होता, कुछ हमसे तो सुना होता
15
जाते हुए उसने सिर्फ इतना कहा था मुझसे
ओ पागल … अपनी ज़िंदगी जी लेना, वैसे प्यार अच्छा करते हो
16
जीने को तो जी रहे हैं उन के बगैर भी लेकिन
सजा-ए-मौत के मायूस कैदियों की तरह
17
ढूँढता फिरता हूँ यूं लोगों में सोहबत उसकी
के वो ख़्वाबों में भी लगती है, ख्यालों जैसी
18
तुम्हारा क्या बिगाड़ा था ? जो तुमने तोड़ डाला है
ये टुकड़े मैं नहीं लूँगा…मुझे दिल बना कर दो
19
तुम्हारे पास नहीं तो फिर किसके पास है
वो टूटा हुआ दिल आखिर गया कहाँ..
20
तेरी याद ही आखिरी सहारा थी
बडी भूल की तुझे भूल कर
21
तो ये तय है के अब उम्र भर नहीं मिलना
तो फिर ये उम्र ही क्यूँ गर तुझसे नहीं मिलना
**
दिल लगी में वक़्त-ए -तन्हाई ऐसा भी आता है
कि रात चली जाती है मगर अँधेरे नहीं जाते
22
दिल-ए-नादान की ज़िद है के तेरा साथ रहे
मर्ज़ी-ए-वक़्त कहता है के बिछड़ना होगा
23
दो हिस्सों में बंट गए मेरे दिल के सब अरमान
कुछ तुझे पाने निकले तो कुछ मुझे समझाने निकले
24
न दिल का रोग था, न यादें थी, और न ही ये हिजर
तेरे प्यार से पहले की नींदें भी कमाल की थी
25
नादानी की हद है, ज़रा देख तो उसे मोहसिन
मुझे खो कर मेरे जैसा ढूँढ रहा है
26
फिर कोई दर्द मिलेगा, तैयार रह ऐ दिल;
कुछ लोग पेश आ रहे बडे प्यार से!
27
बड़ी तब्दीलियाँ आईं हैं अपने आप में लेकिन
तुझे याद करने की वो आदत नहीं गयी
28
बड़े सुकून से रुखसत तो कर दिया उसको
फिर उसके बाद मोहब्बत ने इंतहा कर दी
29
बना के छोड़ देते हैं अपने वजूद का आदि
कुछ लोग इस तरह भी मोहब्बतों का सिला देते हैं
30
बरबादियो का जायजा लेने के वास्ते
वो पूछते हैं हाल मेरा कभी कभी
31
मरहम न सही, एक ज़ख्म ही दे दो
महसूस तो हो के कोई हमें भूला नही
32
मुझको तो होश नहीं, तुमको खबर हो शायद,
लोग कहते हैं कि तुमने मुझे बर्बाद किया।
33
मुझे लिख कर कही महफूज़ कर लो
तुम्हारी यादाश्त से निकलता जा रहा हूँ मैं
34
मेरी आँखों में अब भी चुभता है
तूने जो ख्वाब तोड़ डाला है
35
मेरी यादों से अगर बच निकलो वादा है मेरा तुमसे
मैं खुद दुनिया से कह दूंगा कमी मेरी वफ़ा में थी
36
मेरे दिल पे नक्श तेरी यादों का
ऐसे में कैसे किसी और को सोचूँ
37
मै और उसको भुला दूं , ये कैसी बातें करते हो फ़राज़ …….!!!
सूरत तो फिर सूरत है वो नाम भी अच्छा लगता है ……..!!!
38
मैं गुम रहती हूँ उसकी यादों के मेले में
उसे दिल से भुलाना है, मगर फुरसत नहीं मिलती
39
मैं तो इसी में खुश हूँ, के तुम खुश हो वरना
उठा लूं हाथ अगर दुआ के लिए तो, तुम अब भी मेरे हो जाओगे
40
मैं भी तुम्हारी याद को दिल से भुला तो दूँ,
पर क्या करूँ के दिल की इजाज़त नहीं मुझे
41
ये किस मक़ाम पे सूझी तुझे बिछड़ने की
अभी तो जा के कहीं दिन संवारने वाले थे
42
रह कर खामोश, वो मेरी बात सुनता गया
कभी-कभी ऐसे भी मेरी हार हुई है………!
43
रिवाज़ तो यही है दुनिया का……….मिल जाना….बिछड जाना
तुमसे ये कैसा रिश्ता है?? न मिलते हो…न बिछड़ते हो
44
लोगों ने रोज़ कुछ नया माँगा खुदा से
एक हम ही तेरे ख़याल से आगे नहीं गए
45
वो तझको भूले हैं, तो तुझपे भी लाज़िम है ‘मीर’
खाक डाल, आग लगा, नाम न ले, याद न कर
46
सांस भी लूं तो उसकी महक आती है
उसने ठुकराया है मुझे इतना करीब आने के बाद
47
सौ बार चमन महका, सौ बार बहार आई
दुनिया की वही रौनक, दिल की वही तनहाई
48
हमने सोचा के दो चार दिन की बात होगी लेकिन
तेरे ग़म से तो उम्र भर का रिश्ता निकल आया
49
हुआ है तुझसे बिछडने के बाद अब मालूम
के तू नहीं था, तेरे साथ एक दुनिया थी..
50
हुस्न को चांद जवानी को कमल कहते हैं
देखने वाले तुझे शोक गजल कहते हैं
उफ ये संगेमरमर सा तराशा हुआ शफाक बदन
देखने वाले तुझे ताजमहल कहते हैं !
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